Quiz competition on the occasion of International Hindi Day
हिंदी है विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा :डॉ. ढींडसा
जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय में विश्व हिंदी दिवस पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन ।
सिरसा 10 जनवरी 2024: जेसीडी विद्यापीठ में स्थित जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय में विश्व हिंदी दिवस पर, भाषा को बढ़ावा देने और इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाने के लिए ‘हिंदी पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम बुद्धिमत्ता तक” थीम पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में कॉलेज की चार टीमों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जय प्रकाश द्वारा इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. ढींडसा ने हिंदी भाषा के महत्व को बताते हुए कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जो दुनियाभर के भारतीयों को आपस में जोड़ने का काम करती है। एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है यह जिस प्रकार बोली जाती है, उसी प्रकार लिखी जाती है। इसके उच्चारण व लिखावट में जितनी समानता है, उतनी किसी अन्य भाषा में नहीं और इसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। हिंदी, भारत की एकता और विविधता का प्रतीक है। यह भाषा देशभक्ति, संस्कृति, और समृद्धि का प्रतीक है।
डॉ. ढींडसा ने बताया कि दुनियाभर में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था। इसके बाद पोर्ट लुइस, स्पेन, न्यू यॉर्क, जोहान्सबर्ग आदि सहित भारत में विश्व हिंदी सम्मलेन को आयोजित किया जा चुका है। इसके बाद साल 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ये घोषणा की कि 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। तब से हर साल इस दिन विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। विश्व हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा को दुनियाभर में पहुंचाने का है । इस दिन को भारतीय दूतावासों में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
प्राचार्य डॉ जय प्रकाश ने कहा कि हिंदी भाषा को पारंपरिक प्रयोजनों से अधिक आधुनिक प्रयोजनों के लिए तैयार करना ही भाषिक आधुनिकीकरण है। आज हिंदी बाजार और प्रौद्योगिकी के साथ अपने को सशक्त करते हुए कृत्रिम मेधा की भाषा बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि जो भाषा तकनीक की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप खुद को ढालती रहती है, वह हमेशा प्रासंगिक और जीवंत बनी रहती है।
इस कार्यक्रम में क्विज मास्टर की भूमिका डॉ. सतनारायण द्वारा निभाई गई । कार्यक्रम के अन्त में मुख्य अतिथि द्वारा विजेता प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया तथा मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम डॉक्टर राजेंद्र कुमार की देख रेख में करवाया गया । इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे ।