Teaching_Practice_JCD (9)

Valedictory of Teaching Practice

जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय के विद्यार्थियों का शिक्षण अभ्यास सत्र का समापन
बच्चों को कक्षा में होने वाले संवाद में बराबर भागीदारी का मौका दें छात्र-अध्यापक: डॉ.शमीम शर्मा

सिरसा 24 अगस्त, 2021: जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित शिक्षण महाविद्यालय में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी बी.एड. सामान्य के विद्यार्थियों का विभिन्न स्कूलों में चल रहे शिक्षण अभ्यास कार्यक्रम का विगत दिवस विधिवत् रूप से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, फरवाई कलां, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, नेजाडेला कलां, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, पनिहारी, राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सिरसा, राजकीय उच्च विद्यालय, कीर्ति नगर, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,खैरपुर, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सिकंदरपुर, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, वैदवाला, सिरसा स्कूल, न्यू सतलुज पब्लिक स्कूल, सिरसा इत्यादि में समापन किया गया। जिसमें छात्र-अध्यापकों ने स्कूली छात्र-छात्राओं को पढ़ाकर शिक्षण के गुर सीखे। इस मौके पर स्कूली छात्र-छात्राओं के साथ-साथ छात्र-अध्यापक एवं अध्यापिकाओं ने भी अपनी प्रस्तुति दी। इन सभी स्कूलों में समापन कार्यक्रमों में बतौर मुख्यातिथि जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश उपस्थित हुए। इस मौके पर श्रीराम न्यू सतलुज स्कूल की निदेशिका शशि सचदेवा ने अपने संबोधन में कहा कि अध्यापक की समाज में अह्म भूमिका होती है। अध्यापक वर्ग राष्ट्र निर्माण में अपने कर्तव्य को समझते हुए अपने दायित्व को बखूबी निभाए तो समाज का भला हो सकता है।

बतौर मुख्यातिथि अपने संबोधन में जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश ने अपने संबोधन में सभी छात्र-अध्यापकों को उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि समय परिवर्तनशील है तथा प्रत्येक व्यक्ति को उसके अनुसार स्वयं को अपडेट करके कार्य करते हुए आगे बढऩा चाहिए। प्राचार्य डॉ. जय प्रकाश ने छात्र अध्यापक एवं अध्यापिकाओं को कहा कि वे स्कूलों में प्राप्त हुए अपने अध्यापन सम्बन्धी नवीनतम तथा आधुनिक विधियों को अध्यापक लगने पर विभिन्न स्कूलों में अवश्य प्रयोग करें ताकि उनके शिक्षण कार्य में और अधिक गुणवत्ता आ सके। डॉ. जयप्रकाश ने कहा कि अध्यापक होने के नाते उनका कर्तव्य बनता है कि वे बच्चों के सर्वांगीण विकास पर पूरा ध्यान दें। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार आप सभी को जेसीडी विद्यापीठ में अनुशासित, उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा एवं नैतिक एवं सामाजिक गुण प्रदान किए गए हैं, आप उन्हें इसी प्रकार अपने विद्यार्थियों में भी निहित करेंगे और उन्हें बेहतर नागरिक बनाने में अपना सम्पूर्ण योगदान देंगे। उन्होंने सभी स्कूलों के मुख्याध्यापकों एवं प्रशासन का आभार प्रकट किया क्योंकि उनके सहयोग से ही इस शिक्षण अभ्यास को करवाया जा सका है।

जेसीडी विद्यापीठ के प्रबंध निदेशक डॉ.शमीम शर्मा ने प्रथम वर्ष के छात्र-अध्यापकों द्वारा शिक्षण प्रशिक्षण सत्र समाप्त होने पर शुभकामनाएं प्रदान की और कहा कि इस तरह के शिक्षण अभ्यास के माध्यम से छात्रों की कमजोरियों तथा कठिनाइयों का निदान कर उनका उपचार किया जाता है। शिक्षकों का व्यवसायिक विकास होता है। इससे समय और शक्ति की बचत के साथ अनुशासन बनाए रखने में भी सहायता मिलती है। शिक्षण प्रशिक्षण सत्र को एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए छात्र-अध्यापकों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए एक संगठित और व्यवस्थित नियोजन प्रक्रिया के रूप में देखा जा सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में इस विचार को आज भी काफी महत्व दिया जाता है। एक बच्चा खुद से सीखता है, इस अवधारणा की स्वीकृति ने शिक्षकों को एक सुगमकर्ता के रूप में देखने वाले नये नजरिये का निर्माण किया। इसके कारण शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले प्रशिक्षणों में यह बात बार-बार दोहराई गई कि शिक्षक खुद को एक सुगमकर्ता के रूप में देखें और बच्चों को कक्षा में होने वाले संवाद में बराबर भागीदारी का मौका दें। वे बच्चों को सवाल पूछने और अपने सवालों का जवाब लोगों के साथ मिलकर और खुद से खोजने की दिशा में प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करें।

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