National Seminar (9)

Valedictory of National Seminar, JCD College of Education

जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय में ‘बहुविषयक संस्थानों में ऑफलाइन और ऑनलाइन मिश्रित शिक्षण रणनीतियों के नए युग की खोज’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार का हुआ समापन ।

मिश्रित शिक्षा भारत समेत समूचे विश्व के लिए एक जरूरी पहलु है:- प्रो॰ के॰ श्रीनिवास

सिरसा 28 मई, 2022:- जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित शिक्षण महाविद्यालय द्वारा एक दिवसीय ‘बहुविषयक संस्थानों में ऑफलाइन और ऑनलाइन मिश्रित शिक्षण रणनीतियों के नए युग की खोज’ विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया, कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर प्रो॰ के॰ श्रीनिवास नई दिल्ली में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय (एमओई) संस्थान के राष्ट्रीय शैक्षिक योजना और प्रशासन संस्थान (एनआईईपीए) के आईसीटी और परियोजना प्रबंधन इकाई के प्रमुख बतौर मुख्यातिथि उपस्थित हुए व मुख्य वक्ता के रूप में व गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार से डॉ. वन्दना पूनिया शामिल हुए। राष्ट्रीय सेमिनार की अध्यक्षता चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग की प्रोफेसर डॉ. निवेदिता व जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ॰ जयप्रकाश द्वारा की गई । समापन समारोह में मुख्य अतिथि चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के अध्यक्षा डॉ. रणजीत कौर थी ।

सर्वप्रथम प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश द्वारा मुख्यातिथि महोदय एवं अन्य अतिथियों तथा शोधार्थियों का स्वागत करते हुए इस राष्ट्रीय सेमिनार के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गई तथा इसके आयोजन से सम्बन्धित उद्देश्यों से भी सभी को अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि कोरोना ने एजुकेशन सिस्टम को भी पूरी तरह बदलकर रख दिया है। एक साल पहले तक फ्यूचर मानी जाने वाली ‘ऑनलाइन एजुकेशन’ अब न्यू नॉर्मल हो चुकी है। एजुकेशन सिस्टम में बदलाव यहीं नहीं रुके हैं। कोरोनाकाल और इसके बाद भी एजुकेशन सिस्टम पूर्ण रूप से ऑफलाइन नहीं हो पाएगा। यानी स्टूडेंट्स को लंबे समय तक ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम से भी जुड़ा रहना पड़ेगा।

बतौर मुख्यातिथि प्रो॰ के॰ श्रीनिवास अपने संबोधन में सर्वप्रथम बताया कि ब्लेंडे यानी मिश्रित शिक्षा एक औपचारिक शिक्षा कार्यक्रम हैं जिसमे विद्यार्थी पाठ्यक्रम का एक भाग कक्षा में पूरा करता हैं और दूसरा भाग डिजिटल एवं ऑनलाइन संसाधानो का प्रयोग करके सिद्ध करता हैं। मिश्रित शिक्षा में समय, जगह, विधि तथा गति का नियंत्रण विद्यार्थी के हाथ में है। उन्होंने फ़्लिप्ड क्लासरूम के बारे में भी विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए कहा की यह एक निर्देशात्मक रणनीति और एक प्रकार की मिश्रित शिक्षा है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को घर पर पूरा पढ़ना और कक्षा के समय लाइव समस्या-समाधान पर काम करके छात्रों की व्यस्तता और सीखने को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा की प्रिक्रिया बहुत सरल है किन्तु इसके नुकसान और फायदे भी है, इसलिए बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा पर उनके माता पिता का नियंत्रण बहुत जरूरी है तभी ऑनलाइन शिक्षण प्रभावी और लाभदायक सिद्ध हो सकता है। परन्तु यह तो मानना ही पड़ेगा मिश्रित शिक्षा भारत समेत समूचे विश्व के एक जरूरी पहलु है जिसे हर हालत में न सिर्फ अपनाना वरन इसे और भी अधिक सुविधा जनक बनाना होगा ताकि शिक्षा पर सभी का अधिकार अधिक मजबूती से कायम हो सके।

राष्ट्रीय सेमिनार के मुख्य वक्ता डॉ. वन्दना पूनिया ने अपने संबोधन में कहा कि हालाँकि, ऑनलाइन शिक्षा के फायदे बहुत हैं पर पारंपरिक कक्षा कुछ क्षेत्रों में अधिक व्यावहारिक है। ऑनलाइन क्लास वयस्क छात्रों के लिए अनुकूल हो सकता है, जो स्व-अनुशासित हैं, लेकिन बच्चों और किशोरों के लिए, पारंपरिक तरीके से स्कूल में जाकर पढ़ना ही बेहतर है। शिक्षा के मिश्रित मॉडल के साथ दोगुनी गति से हम अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं।

प्रोफेसर डॉ. निवेदिता ने संबोधन में कहा कि बदलते परिवेश में टेक्नोलॉजी में भी कई बदलाब हुए है और इसके उपयोग भी बड़े है। टेक्नोलॉजी के वजह से शिक्षा लेने की पद्दति में भी बहुत से परिवर्तन देखने को मिले हैं। आज ऑनलाइन शिक्षा में उपयोग होने वाली शिक्षण सम्बंधित सामग्री, टेक्नोलॉजी के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजी जा सकती है। टेक्निकल सेशन की सह चेयरपर्सन डॉ. पूनम मिगलानी, प्राचार्या नेशनल कॉलेज ऑफ एजुकेशन सिरसा ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल कारकों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. रणजीत कौर ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा हमारे लिए एक वरदान है, जिसका लाभ हम जब चाहें उठा सकते हैं। वैसे तो ऑनलाइन शिक्षा काफी समय से हमारे बीच मौजूद है, लेकिन इसका फायदा हमें तब सबसे ज़्यादा मिला, जब मोबाइल एवं लैपटॉप की उपलब्धता भारत के हर घर में हो गयी। हो सकता है कंप्यूटर अभी भी भारत के हर घर में ना हो किन्तु मोबाइल की पहुँच हर घर में हो चुकी है। डॉ. कौर ने कहा कि कि स्पष्ट है कि ऑनलाइन शिक्षण एक तकनीक आधारित शिक्षण पद्धति है और तकनीक संबंधी बाधाओं से हम सब परिचित भी हैं. ऐसे में यदि छोटे बच्चों को पढ़ाने के दौरान इस प्रकार का व्यवधान आए और शिक्षण की प्रक्रिया लगातार रूकती रहे तो छोटे बच्चों को फिर से या बार-बार पढ़ाई के लिए प्रेरित करना शिक्षक के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.

इस राष्ट्रीय सेमिनार में 262 प्रतिभागियों द्वारा हिस्सा लिया गया तथा तीन टेक्निकल सेशन में 64 शोधपत्र तथा पेपर प्रस्तुत किए गए। जिसमें सभी शोधार्थियों एवं विशेषज्ञों द्वारा शोध में नवीनतम विचारों एवं बदलाव के बारे में चर्चा की गई। कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. निशा द्वारा राष्ट्रीय सेमिनार प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। मुख्य अतिथि व अन्य अतिथियों द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए। इस मौके पर इस सेमिनार के आयोजन सचिव डॉ. राजेन्द्र कुमार ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया। अंत में मुख्यातिथि महोदय एवं मुख्य वक्ता को प्रशस्ति चिह्न प्रदान करके सम्मानित किया गया।

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