One day Online international Seminar Valedictory

सिरसा (20-06-2021) जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय, सिरसा में ‘कोविड-19 महामारी काल में बहुविषयक शिक्षाशास्त्र के उपागमों का प्रयोग एवं भावी शिक्षक का ऑनलाइन प्रशिक्षण से संबंधित तैयारी’ हेतु ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्यातिथि जेसीडी विद्यापीठ के प्रबंध निदेशक डॉ. शमीम शर्मा ने शिरकत की, वहीं इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश द्वारा की गई। ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य वक्ता डॉ. वेरोनिका स्टोफोवा, प्रो. शिक्षा संकाय, ट्रानवा विश्वविद्यालय, ट्रानवा (स्लोवाकिया) वक्ता प्रो. (डॉ.) आर.एस. दलाल, केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ (हरियाणा), प्रो. (डॉ.) निवेदिता, अध्यक्ष, शिक्षा विभाग, सीडीएलयू, सिरसा (हरियाणा), प्रो. (डॉ.) सुषमा शर्मा सेवानिवृत्त अध्यक्ष, शिक्षा विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र (हरियाणा) एवं डॉ. प्रमोद कुमार, डीन, स्कूल ऑफ एजुकेशन, केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ (हरियाणा) रहें। इस ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में देश व विदेश से 1200 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया ।

 

कॉलेज के प्राचार्य एवं ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार के संयोजक डॉ. जयप्रकाश ने सभी अतिथियों, शोधार्थियों एवं प्रतिभागियों का ऑनलाइन कार्यक्रम में जुड़ने पर आभार व्यक्त किया और उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में कोरोना महामारी से स्वयं को सुरक्षित रखने हेतु ऑनलाइन एजुकेशन की आवश्यकता है।कोरोना वायरस की वजह से हमारे जीवन में व्यापक बदलाव आए हैं, ना केवल हमारे निजी जीवन पर बल्कि हमारे रिश्तों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। अपने देश की परिस्थिति, जीवन मूल्यों, और अपनी संस्कृति को समझते हुए एक स्वदेशी सिस्टम विकसित करने की चुनौती हमारे सामने है

मुख्यातिथि डॉ. शमीम शर्मा ने कहा कि कोवीड–19 की वैश्विक त्रासदी के दौर में आमने- सामने की पारंपरिक शिक्षा के सामने कठिनाई खड़ी हो गई है। कोरोना संकट के दौर में शैक्षणिक संस्थानों के आगे जो चुनौती है उसमें ऑनलाइन एक स्वाभाविक विकल्प है। ऐसे समय में विद्यार्थियों से जुड़ना समय की ज़रूरत है, लेकिन इस व्यवस्था को कक्षाओं में आमने-सामने दी जाने वाली गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विकल्प बताना भारत के भविष्य के लिए अन्यायपूर्ण है। कोवीड–19 लॉकडाउन ने हमें विशेष रूप से स्कूल व कॉलेज स्तर की शिक्षा प्रणाली में ई-लर्निंग की एक नई चुनौती दी है। महामारी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिये लागू किये गए लॉकडाउन के कारण स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय की शिक्षा प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रही है। परिणामस्वरूप शिक्षा अब तेज़ी से ई-शिक्षा की ओर अग्रसर हो रही है।

ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य वक्ता डॉ. वेरोनिका स्टोफोवा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है जोकि बिल्कुल भी गलत नहीं है। यह इस बात से काफी अच्छी तरह स्पष्ट हो जाता है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेज अपने कोर्सेज को आसान और किफायती बनाने के साथ-साथ व्यापक रूप से अपने कोर्सेज अधिक से अधिक छात्रों को उपलब्ध करवाने के विकल्प तलाश रहे हैं। अध्यापन कोई स्थिर व्यवसाय नहीं है बल्कि प्रौद्योगिकी, सदैव बदलते ज्ञान, वैश्विक अर्थशास्त्र के दबावों और सामाजिक दबावों से प्रभावित होकर बदलता रहता है। शिक्षकों का बदलाव की क्षमता से युक्त होना अनिर्वाय है। शिक्षक, योजनाकार, शोधकर्ता आदि सभी लोग व्यापक पैमाने पर इस बात से सहमत दिखाई देते हैं कि ऑनलाइन शिक्षा से शिक्षा पर सकारात्मक और महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमताएं मौजूद हैं। केवल आईसीटी के अस्तित्व में होने से ही शिक्षकों की पद्धति नहीं बदलेगी। हालांकि, आईसीटी शिक्षकों को अपने शिक्षण पद्धति को बदलने तथा अधिक सक्षमता प्राप्त करने में मदद कर सकती है, बशर्ते आवश्यक स्थितियां उपलब्ध करा दी जाएं।

प्रो. (डॉ.) सुषमा शर्मा ने कहा कि आईसीटी का उपयोग करने के लिए ज्ञान और कौशल अपर्याप्त हैं।डॉ. प्रमोद कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि विश्वव्यापी लॉकडाउन के बीच तमाम देशों में ऑनलाइन कक्षाओं और इंटरनेट से पढ़ाई पर जोर है भारत भी इससे अछूता नहीं है।ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार के प्रातः कालीन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. (डॉ.) निवेदिता ने कहा कि तकनीकी विकास के चलते इंसानी जिंदगी के सभी आयामों में विलक्षण परिवर्तन हुए हैं। और ये बदलाव न केवल मात्रात्मक विस्तार के रूप में हुए, बल्कि गुणात्मक भी हुए हैं इनका लाभ लोगों ने भरपूर उठाया है।

ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार के संध्या कालीन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. (डॉ.) आर.एस. दलाल ने कहा कि शिक्षा अपने मूल में सामाजीकरण की एक प्रक्रिया है. जब-जब समाज का स्वरूप बदला शिक्षा के स्वरूप में भी परिवर्तन की बात हुई। इस ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में प्रातः कालीन और संध्या कालीन सत्र में 74 शोधार्थियों ने अपने शोध पेपर प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के अंत में अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार कॉम वेबीनार के आयोजन सचिव डॉ. राजेन्द्र कुमार ने सभी अतिथियों, शोधार्थियों व प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को ई-प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।

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