International Women Day

जेसीडी में अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस पर पोस्टर मेकिग व स्लोगन लेखन प्रतियोगिता में छात्राओं ने लिया बढ़-चढ़कर भाग।
देश के विकास के लिए महिलाओं की हर क्षेत्र में भागीदारी होना है आवश्यक: प्रोफेसर ढींडसा

सिरसा 9 मार्च 2024: जेसीडी विद्यापीठ में स्थित जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय में अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। महाविद्यालय की छात्राओं ने पोस्टर मेकिग व स्लोगन लेखन प्रतियोगिता के माध्यम से इस दिवस को मनाया। इसकी थीम इंस्पायर इंक्लुजन रखी गई थी।। महाविद्यालय की छात्राओं ने इन प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। छात्राओं ने पोस्टर व स्लोगन के माध्यम से महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली विभिन्न भूमिकाओं को दर्शाया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉ कुलदीप सिंह ढींडसा थे और अध्यक्षता कालेज के प्राचार्य डॉक्टर जयप्रकाश द्वारा की गई। सर्वप्रथम उन्होंने मुख्य अतिथि का हरा पौधा देकर स्वागत किया और छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि समाज में पुरुष और महिलाओं के बीच के भेदभाव को मिटाकर समानता लाने के प्रयास के लिए महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। क्योंकि अभी भी हमारे देश में स्त्रियां समानता और महिला सशक्तीकरण के लिए संघर्ष कर रही हैं।

मुख्य अतिथि डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि आज के वैश्विकरण वाले प्रतिस्पर्धी दौर में महिलाएं सिर्फ घर ही नहीं संभालतीं बल्कि देश, दुनिया की तरक्की में भी अपना योगदान दे रही हैं। घर से लेकर विभिन्न क्षेत्रों चाहे वह आईटी सेक्टर हो या बैंकिंग या अन्य, सभी में अपनी प्रतिभा और कार्य कौशल का लोहा मनवा रही हैं। महिलाओं के इसी हौसले और जज्बे को सराहने और सम्मान देने के लिए दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के विकास के लिए महिलाओं की हर क्षेत्र में भागीदारी होना आवश्यक है।

डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि आज का युग ऐसा युग है, जिसमें महिलाओं को संविधान में कई अधिकार दिए गए हैं। आज महिलाएं इस विकासशील भारत को विकसित बनाने के लिए अपना योगदान देती है परंतु फिर भी उन्हें कई बार अलग-अलग रूपों में प्रताड़ित किया जाता है तथा उनके अधिकारों का हनन किया जाता है। आज हर साल किसी भी परीक्षा में महिलाएं समान रूप से शामिल होती हैं तथा कई बार पुरुषों से अधिक अंक भी लाती हैं, परंतु कहीं न कहीं यह भी सच है कि पैतृक सत्ता समाज होने के कारण पुरुषों को ही मान सम्मान दिया जाता है। ऐसे में अक्सर बेटियों में निराशा का भाव पैदा हो जाता है। आज कई महिलाएं जैसे किरण बेदी, सुष्मिता सेन, पद्मावती बंदोपाध्याय, सुचेता कृपलानी आदि सशक्त हैं। इन्हीं के जैसे समाज की हर नारी को सशक्त करने का दायित्व किसी भी सभ्य समाज का बनता है।

महाविद्यालय द्वारा कराई गई पोस्टर मेकिग प्रतियोगिता में पहला स्थान कोमल, दूसरा स्थान पूजा व तीसरा स्थान सुनीता तथा सांत्वना पुरस्कार कोमल व शीतल ने प्राप्त किया। स्लोगन लेखन प्रतियोगिता में पहला स्थान ममता, दूसरा स्थान कविता , तीसरा स्थान खुशी तथा सांत्वना पुरस्कार सरिता ने प्राप्त किया। सभी विजेता प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया ।

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