Celebration of Savitribai Phulle Jayanti

सावित्रीबाई फुले थी भारत का गौरव : डॉक्टर ढींडसा ।

सिरसा 3 जनवरी 2024: जेसीडी विद्यापीठ में स्थित जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय में सावित्रीबाई फुले की जयंती के उपलक्ष्य में एक एक्सटेंशन लेक्चर करवाया गया। जिसका विषय सावित्रीबाई फुले का शिक्षा में योगदान तथा बौद्धिक विकलांगता की शिक्षण रणनीति था।

जिसमे जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉक्टर कुलदीप सिंह ढींडसा ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की तथा कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर जयप्रकाश ने अध्यक्षता की। इस अवसर पर एम आई ए आर कॉलेज आफ एजुकेशन, जम्मू से असिस्टेंट प्रोफेसर छोटू राम जांगड़ा विशेषज्ञ वक्ता थे। सर्वप्रथम प्राचार्य द्वारा मुख्य अतिथि और वक्ता का हरे पौधे देकर स्वागत किया।

प्राचार्य डॉक्टर जयप्रकाश ने कहा कि आज 3 जनवरी को भारत में महिला शिक्षा की अगुआ सावित्रीबाई फुले की जयंती है । आज ही के दिन 1831 में देश की पहली महिला टीचर सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा के नायगांव में एक किसान परिवार में हुआ था। सावित्रीबाई फुले ने भारतीय महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने में अहम भूमिका निभाई थी।

मुख्य अतिथि डॉक्टर ढींडसा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सावित्रीबाई फुले ऐसी शख्स थी जिन्होंने समाज द्वारा लड़कियों की शिक्षा के विरोध के बावजूद उन्हें शिक्षित करने का प्रण लिया। सावित्रीबाई फुले भारत का गौरव थी। उन्होंने स्त्री शिक्षा के लिए न केवल संधर्ष किया बल्कि पहली बार उनके लिए बालिका विद्यालय की भी स्थापना की। सावित्रीबाई फुले एक स्त्री होने के कारण समाज में स्त्री शिक्षा के विरोध के कारणों को जानती थी। पहला उनका सामाजिक रूढ़िवादी परिवेश जो उन्हें गुलाम बनाए रखने की मानसिकता रखता था ताकि लड़कियाँ शिक्षा से चेतनाशील होकर महिला विरोधी कुप्रथाओं का विरोध न कर सके और दूसरा लड़कियों का अपना परिवार था। परिवार में माता-पिता के बाद बेटी ही घर के सभी कामों में सहयोगी होती है। ऐसे में सावित्रीबाई फुले के समक्ष अपने परिवेश की लड़कियों और उनके माता-पिता को शिक्षा के प्रति जागृत करना एक चुनौतीपूर्ण काम था। वह इस चुनौती को स्वीकार करती हुई सभी महिलाओं को सखी के रूप में संबोधित करते हुए कहती थी कि ‘स्वाभिमान से जीने के लिए पढ़ाई करो। इंसानों का सच्चा गहना शिक्षा है, चलो, पाठशाला जाओ। पहला काम पढ़ाई, फिर वक्त मिले तो खेल-कूद, पढ़ाई से फुर्सत मिले तभी करो घर की साफ़-सफाई। इस तरह सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं की शिक्षा के लिए उनके बीच जाकर जागृति अभियान चलाया था।

डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था। वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग उनपर पत्थर मारते थे।

इस अवसर पर विशेषज्ञ छोटू राम जांगड़ा ने विशेष बीएड के विद्यार्थियों को बौद्धिक विकलांगता की शिक्षण रणनीति”के बारे में विस्तार से जानकारी दी ।उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि संचार करने से पहले विद्यार्थी का ध्यान आकर्षित करें और दृश्य निर्देशों का प्रयोग करें और प्रयासों की सराहना करें और भागीदारी को प्रोत्साहित करें। इस अवसर पर डॉक्टर राजेंद्र कुमार, मदन लाल बेनीवाल के इलावा कॉलेज के अन्य स्टाफ और विद्यार्थी गण उपस्थित रहे।

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