World Autism Awareness Day

बच्चों में व्यवहारिकता थेरेपी से आटिज्म को कर सकते हैं कम : डॉ. ढींडसा

सिरसा 02 अप्रैल 2024: जेसीडी विद्यापीठ में स्थित जीसीडी शिक्षण महाविद्यालय में वर्ल्ड ऑटिज्म डे पर छात्रों को ऑटिज्म के बारे में जानकारी देने, उनकी कला और अभिव्यक्ति को प्रमोट करने, और समाज में ऑटिज्म संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए भाषण एवं पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। इस अवसर पर जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉक्टर कुलदीप सिंह ढींडसा मुख्य अतिथि रहे तथा प्राचार्य डॉक्टर जयप्रकाश ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उनके साथ इस कार्यक्रम के इंचार्ज मदन लाल , अनुराधा और राजपवन भी उपस्थित थे ।

कॉलेज प्राचार्य डॉ जय प्रकाश ने कहा कि आटिज्म एक आजीवन तंत्रिका संबंधी विकार है जो बचपन में ही प्रकट होता है और लिंग, जाति या आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना सभी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित करता है। जिसमें व्यक्ति की सीमित रुचियाँ और दोहराए जाने वाला व्यवहार हो जाते है। साथ ही लोगों से बात करने में कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार व्यक्तियों पर अलग-अलग प्रभाव डालता है। कुछ व्यक्तिओं को बोलने में कठिनाई हो सकती हैं। जिसके लिए विश्वभर में विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है, जो लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉक्टर कुलदीप सिंह ढींडसा ने बताया कि WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) का कहना है कि 160 बच्चों में से हमेशा एक बच्चा ऐसा होता है जिसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर होता है। वर्ल्ड ऑटिज्म डे मनाने का मुख्य उद्देश्य छात्रों को सहयोग, समानता, और समर्थन की भावना ,समानता के मूल्यों और ऑटिज्म संवेदनशीलता को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं । उन्होनें कहा कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर वाले लोगों को समाज में सम्मान और समर्थन प्रदान करना है। इस दिन को लोग जागरूकता बढ़ाते हैं, ऑटिज्म के विषय में जानकारी साझा करते हैं, और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार से प्रभावित व्यक्तियों और उनके परिवारों को समर्थन देते हैं। इस दिन के माध्यम से समाज में समानता, समर्थन, और समझ की भावना बढ़ाई जाती है। जो एक समर्थ, सहानुभूतिपूर्ण, और समर्थनशील समाज की नींव बनाती है।

डॉ. ढींडसा ने कहा कि ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे की सहायता करने का एकमात्र तरीका उसकी रुचि को समझना है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार के व्यक्तियों की रुचि अक्सर अनूठी होती है और वह अलग-अलग चीजों में रुचि रखते हैं। इसी लिए इस तरह के बच्चे के साथ बातचीत करें और उनकी पसंद और नापसंद को समझें, उनके पसंदीदा गतिविधियों, खेल, या किसी विशेष विषय के बारे में विचार करने और अभिव्यक्ति करने के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चे को सामाजिक संबंधों में समाहित होने के लिए संवाद, खेल, और साझा कार्यक्रमों में शामिल करें। बच्चे को स्थिरता और नियमितता के साथ उनकी रुचियों का समर्थन करें। उनकी प्रतिभा और अद्भुत विशेषग्यताओं को पहचानें और समर्थित करें। इन तरीकों का उपयोग करके, आप ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को सहायता कर सकते हैं और उनके साथ संवाद को स्थापित करने में मदद कर सकते हैं, जो उनके समाजिक और व्यक्तिगत विकास में मदद कर सकता है।

डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि ऑटिज्म के कारण विभिन्न हो सकते हैं, जैसे जेनेटिक परिवार में विकार, मां के गर्भावस्था में सामाजिक परिवेश या इम्यून सिस्टम के विकास के दौरान असामान्य प्रक्रिया और पर्यावरण । जोकि गर्भ में पल रहे बच्चे के दिमाग के विकास को बाधित करते हैं। जैसे-दिमाग के विकास को नियंत्रित करने वाले जीन में कोई गड़बड़ी होना, सेल्स और दिमाग के बीच संपर्क बनाने वाले जीन में गड़बड़ी होना, गर्भावस्था में वायरल इन्फेक्शन या हवा में फैले प्रदूषण कणों के संपर्क में आना भी आटिज्म का कारण बन सकता है। आटिज्म से प्रभावित बच्चे दूसरे बच्चों से घुलने-मिलने से बचते हैं वे अकेले रहना पसंद करते हैं और वे खेलकूद में हिस्सा नहीं लेते और न ही रुचि दिखाते हैं। वे किसी एक जगह पर घंटों अकेले या चुपचाप बैठना, एक ही काम को बार-बार करना, खुद को चोट लगाना या नुकसान पहुंचाने का प्रयास करना, अशांत और तोड़फोड़ मचाने जैसा व्यवहार करना, किसी काम को लगातार करते रहना पसंद करते हैं।उन्होंने कहा कि बच्चों में व्यवहारिकता थेरेपी से आटिज्म को कम किया जा सकता है। कार्यक्रम के अंत में स्पेशल स्कूल के बच्चों को खाना खिलाया गया। विजेता प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया गया।

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