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Valedictory of CRE Programme | JCD PG College of Education

Valedictory of CRE Programme

जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सतत् पुनर्वास शिक्षा (सीआरई) कार्यक्रम का समापन।
पुरुषों में विकलांगता स्त्रियों की बजाय ज्यादा: डॉक्टर कुलदीप सिंह ढींडसा

सिरसा 12 जनवरी 2023: जननायक चौ. देवीलाल शिक्षण महाविद्यालय सिरसा में भारतीय पुनर्वास परिषद् नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सतत् पुनर्वास शिक्षा (सीआरई) कार्यक्रम का विधिवत् समापन किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा व कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर सुषमा शर्मा, भूतपूर्व डीन एवं चेयरपर्सन डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र द्वारा की गई । इस अवसर पर विभिन्न कॉलेजों के प्राचार्य गण डॉक्टर दिनेश कुमार गुप्ता , डॉक्टर अनुपमा सेतिया, डॉक्टर शिखा गोयल, हरलीन कौर के इलावा जेसीडी डेंटल कॉलेज के डायरेक्टर डॉ राजेश्वर चावला उपस्थित रहे।

महाविद्यालय के प्राचार्य और कार्यक्रम के समन्वयक डॉक्टर जयप्रकाश ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया व अतिथियों का संक्षिप्त परिचय देते हुए कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी का धन्यवाद किया।उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों को परामर्श व मोटिवेशन की आवश्यकता है जिसके माध्यम से वे अपने बच्चों को विशेष शिक्षण द्वारा शिक्षित समाज की मुख्यधारा में शामिल कर सकें।

मुख्यातिथि व जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉ.कुलदीप सिंह ढींडसा ने अपने संबोधन में कहा कि दिव्यांग बच्चे भगवान् द्वारा भेजे गए उपहार है इनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। दिव्यांग तो वे लोग हैं जो कोई कार्य नहीं करते बल्कि सदैव खाली बैठे रहते हैं। दिव्यांग बच्चों की शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का विशेष महत्व होता है। प्रतिभागी अपने क्षेत्र में जाकर विशेष बच्चों को शिक्षा प्रदान करें। विशेष बच्चों के सामने भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए उनको तैयार करना तथा उनका विकास व उन्नति करना सभी अध्यापकों की सामूहिक जिम्मेवारी है। उन्होंने अपने संबोधन में पैराडाइज़ लॉस्ट’ महाकाव्य में मिल्टन ने अर्श से फ़र्श पर आने के एहसास और ईश्वर के इंसान को स्वर्ग से निकालने को सही ठहराने की कोशिश की भी चर्चा की और उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि मिल्टन ने ये दिखाने की कोशिश की है कि अगर इंसान ग़लती करता है तो उसे उसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ता है. गलती करने पर ही इंसान को स्वर्ग से निकाला गया था। डॉ ढींडसा ने बताया कि अशक्तता का प्रसार महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक है। पुरुषों में, विकलांगता का प्रसार 2.4 प्रतिशत था जो महिलाओं में 1.9 प्रतिशत है ।भारत में विकलांगता का प्रसार (जनसंख्या में विकलांग व्यक्तियों का प्रतिशत) 2.2 प्रतिशत है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह 2.3 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 2.0 प्रतिशत है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही और मुख्य वक्ता डॉ.सुषमा शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि दिव्यांग बच्चे समाज का अभिन्न अंग है इनको विशेष शिक्षा के साथ-साथ प्यार की भी आवश्यकता होती है। विशेष बच्चों की पहचान, पुनर्वास और शिक्षा में विशेष शिक्षकों की अहम् भूमिका है। उन्होंने दिव्यांग बच्चों के विभिन्न शिक्षण पद्धति के बारे में परी स्कूल लेवल पर उन्हें किस प्रकार शिक्षित किया जा सकता है इसके बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।उन्होंने सरकार द्वारा चलाई जा रही सुविधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विशेष बच्चों की विशेष आवश्यकताएं होती हैं उनकी पहचान होनी अति आवश्यक है। समाज सेवा से विशेष अध्यापकों को भी बहुउद्देशीय फायदे होते हैं। उन्होंने शोध को बढ़ावा देने पर बल दिया। रिसोर्स पर्सन रामपाल ने विभिन्न शिक्षा नीतियों में उल्लेख विशेष शिक्षा के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। कार्यक्रम के संयोजक मि. मदन लाल ने तीन दिवसीय कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। महाविद्यालय के प्रवक्ता मि.राजपवन जांगड़ा ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी छात्र उपस्थित थे।

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