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Valedictory of 2 days CRE Programme | JCD PG College of Education

Valedictory of 2 days CRE Programme

जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सतत् पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम का समापन।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य “समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना: डॉ. ढींडसा

सिरसा 07 मार्च 2024: जननायक चौ. देवीलाल शिक्षण महाविद्यालय सिरसा में भारतीय पुनर्वास परिषद् नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित दो दिवसीय राष्ट्रीय सतत् पुनर्वास शिक्षा (सीआरई) कार्यक्रम का विधिवत् समापन किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा व विशिष्ट अथिति डॉक्टर कृष्ण कुमार मलिक एकेडमिक ऑफिसर राज्य पुनर्वास, प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान ,रोहतक और डॉ. सुधांशु गुप्ता कुलसचिव जेसीडी विद्यापीठ तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज प्राचार्य डॉ. जय प्रकाश द्वारा की गई । इस अवसर पर विभिन्न कॉलेजों के प्राचार्य गण डॉ. हरलीन कौर और डॉ. दिनेश कुमार के इलावा रिसोर्स पर्सन राजपाल और लवलीन शर्मा भी उपस्थित रहे।

महाविद्यालय के प्राचार्य और कार्यक्रम के समन्वयक डॉक्टर जयप्रकाश ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया व अतिथियों का संक्षिप्त परिचय देते हुए कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी का धन्यवाद किया।उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों को परामर्श व मोटिवेशन की आवश्यकता है जिसके माध्यम से वे अपने बच्चों को विशेष शिक्षण द्वारा शिक्षित समाज की मुख्यधारा में शामिल कर सकें।

मुख्यातिथि व जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने अपने संबोधन में कहा कि दिव्यांग बच्चों की शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का विशेष महत्व होता है। प्रतिभागी अपने क्षेत्र में जाकर विशेष बच्चों को शिक्षा प्रदान करें। विशेष बच्चों के सामने भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए उनको तैयार करना तथा उनका विकास व उन्नति करना सभी अध्यापकों की सामूहिक जिम्मेवारी है। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि

2030 तक, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य “समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को प्रोत्साहित करना है।” उक्त आयोगों एवं समितियों का मुख्य लक्ष्य विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा की मुख्य धारा में पहुंच सुनिश्चित करना है। उन्होनें कहा कि एनईपी 2020 पहुंच, समानता, गुणवत्ता, सामर्थ्य और जवाबदेही के पांच मार्गदर्शक स्तंभों पर आधारित है। यह हमारे युवाओं को वर्तमान और भविष्य की विविध राष्ट्रीय और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करेगा। डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 इस बात पर जोर देती है कि, “सामाजिक न्याय और समानता प्राप्त करने के लिए शिक्षा सबसे बड़ा उपकरण है” जिसका समावेशी समुदाय और बड़े पैमाने पर समाज के विकास पर प्रभाव पड़ता है। एनईपी, 2020 ने मौजूदा ढांचे के साथ विकलांग बच्चों को पढ़ाने के लिए अल्पकालिक विशेषज्ञता पाठ्यक्रम पेश किए हैं। उन्होनें कहा कि शिक्षकों को छात्रों की जरूरतों और आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षण के लिए विभिन्न उपकरण चुनने की स्वतंत्रता दी जाएगी और राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, परख की स्थापना यानी प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और समग्र विकास के लिए ज्ञान का विश्लेषण करने पर जोर दिया जाएगा ।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और मुख्य वक्ता डॉ.कृष्ण कुमार ने लिंग समानता पर अपने संबोधन में कहा कि समता प्राप्त करने के उद्देश्य से इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि लोगों का लैंगिक संवेदीकरण होना चाहिए। परंपरागत रूप से समाज में महिलाओं को कमज़ोर वर्ग के रूप में देखा जाता रहा है। वे घर और समाज दोनों जगहों पर शोषण, अपमान और भेदभाव से पीड़ित होती हैं। महिलाओं के खिलाफ भेदभाव दुनिया में हर जगह प्रचलित है। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता महिलाओं और लड़कियों को दुर्व्यवहार से बचाती है। यह लैंगिक तुल्यता के स्थान पर भी उपयोग किया जा सकता है। एक सामाजिक रचना के रूप में लिंग, लैंगिक समानता के महत्व के शिक्षण के बारे में सबसे अधिक प्रासंगिक है। लिंग सिर्फ एक सामाजिक रचना है।

रिसोर्स पर्सन राजपाल ने सामाजिक आर्थिक समावेशन। पर बोलते हुए कहा कि भारतीय समाज में कई ऐसे वर्ग है, जो समाज की मुख्यधारा से बाहर है, यथा- महिलायें, मैला ढोने वाले व आदिवासी समाज की मुख्यधारा में इनको लाना बहुत आवश्यक है। लवलीन शर्मा ने नीति और वकालत पर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम के संयोजक मि. मदन लाल ने दो दिवसीय कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। महाविद्यालय के प्रवक्ता मि.राजपवन जांगड़ा ने टेक्नोलॉजी एंड इंक्लूजन पर अपने विचार रखे और सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी स्टाफ एवं छात्र उपस्थित थे।

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