Webinar 13-05-2022 3 new

Two-day online webinar at JCD PG College of Education

जननायक चौ. देवीलाल शिक्षण महाविद्यालय,सिरसा में दो दिवसीय ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन

सिरसा 13 मई, 2022 : जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित जननायक चौ. देवीलाल शिक्षण महाविद्यालय,सिरसा के द्वारा दो दिवसीय ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन भारतीय पुनर्वास परिषद नई दिल्ली के सौजन्य से ‘दिव्यांग बच्चों के बाधा मुक्त वातावरण से संबंधित किस प्रकार से उनको समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जा सकता है’ विषय पर किया गया। इस दो दिवसीय ऑनलाइन वेबीनार में मुख्य अतिथि जननायक चौ. देवीलाल विद्यापीठ के प्रबंध निदेशक डॉ.शमीम शर्मा व कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश एवं कार्यक्रम में मुख्य वक्ता जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर से डॉ. योगेंद्र शेखावत, श्री रिंकू, आदर्श रिहैबिलिटेशन सेंटर, भिवानी एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वसीम अहमद, असिस्टेंट प्रोफेसर श्री राज पवन जांगड़ा, श्रीमती अनुराधा ठाकुर व श्री मदन लाल रहें। इस दो दिवसीय वेबीनार में 200 प्रतिभागी भाग ले रहें हैं।

कार्यक्रम के शुभारंभ में जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि दिव्यांगता के कारण एक नहीं अपितु अनेक हैं। कोई जन्म से ही दिव्यांग होता है, तो कोई जन्मो प्रांत किसी घटना, दुर्घटना के परिणाम स्वरूप दिव्यांग होता है। इस कारण से कुछ दिव्यांगता ऐसी होती है, जिसका इलाज संभव होता है उसके विपरीत कुछ ऐसी दिव्यांगता होती है जिसका इलाज कतई संभव नहीं होता है। जिस समाज में दिव्यांगता का संबंध पूर्व में घृणा और दया से था अब वह अधिकारपूर्ण सामाजिक न्याय एवं भागीदारी से संबंधित हो गया है। निश्चय ही इसके लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं, समूह एवं विभिन्न राष्ट्रीय प्रयासों ने अहम भूमिका निभाई है।

मुख्य अतिथि डॉ.शमीम शर्मा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि दिव्यांगता का समाधान तभी संभव है। जब हम इसके प्रति अपना पुरा दृष्टिकोण रखें इसके प्रति अपना नैतिक उत्तरदायित्व को निभाने के लिए दृढ़ संकल्प लें अपने निजी स्वार्थों को बलि देकर इसके समाधान की दिशा ढूंढे। इस प्रकार दिव्यांगता को दूर करने के लिए हमें दिव्यांगों के प्रति स्वस्थ मानवीय दृष्टिकोण का परिचय देना पड़ेगा अपने हीन भावना को त्याग कर देना चाहिए। दिव्यांगों में आत्मविश्वास को जगाना चाहिए, अनुभव देना चाहिए कि समाज के अधीन और अटूट उन्हें एक सामान्य जीवन जीने का मौलिक अधिकार है। वे समाज और राष्ट्र की सभी गतिविधियों और स्वरूपों के लिए उत्तरदाई बनकर अपनी उपलब्धियों से अपनी अद्भुत पहचान बनाने में सक्षम और योग्य है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. योगेंद्र शेखावत ने कहा कि दिव्यांगता दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि जो दिव्यांग है, उन्हें ऐसे कार्य में लगाया जाए जैसे बहरा सुन तो नहीं सकता है, लेकिन देख सकता है। इसलिए उसे कोई निगरानी करने के काम में लगाया जाना चाहिए, अंधे देख नही सकते पर सूत कात सकते हैं, बोल सकते हैं अतः उन्हें इस तरह के कामों में लगा देना चाहिए। इस तरह दिव्यांगों की योग्यता को ध्यान में रखकर उन्हें उनकी सुविधानुसार कार्यों में लगा कर दिव्यांगता के भयावह समस्या का हल ढूंढा जा सकता है। उन्होंने यूनिवर्सल डिज़ाइन और यूनिवर्सल डिज़ाइन फ़ॉर लर्निंग की अवधारणा पर्यावरणीय बाधाएं और उन्हें दूर करने के तरीके और इसके सिद्धांत के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी।इस अवसर पर शिक्षण महाविद्यालय के सभी स्टाफ एवं विद्यार्थीगण भी ऑनलाइन जुड़े।

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