Inauguration of Two day CRE Programme
ऑटिज़्म एक न्यूरोविकासात्मक विकार है, सही पहचान आवश्यक है : अर्जुन सिंह चौटाला
जेसीडी में दो दिवसीय सतत् पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम का हुआ विधिवत शुभारंभ
सिरसा 17 जुलाई, 2024, : जननायक चौधरी देवीलाल विद्यापीठ, सिरसा में स्थित जननायक चौ. देवीलाल शिक्षण महाविद्यालय में दो दिवसीय सतत् पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रोफेसर (डॉ.) रणजीत कौर, शिक्षा विभाग, चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा थे एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यापीठ के उप -महानिदेशक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश ने की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. जयप्रकाश ने आएं हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पुनर्वास शिक्षा एक आवश्यक और सामाजिक जिम्मेदारी है और इसमें निरंतर सुधार की आवश्यकता होती है। सतत् पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम के शैक्षिक प्रक्रियाएं हैं जिसमें पुनर्वास पेशेवरों को उनके क्षेत्र में अपनी ज्ञान, कला, कौशल और अभ्यास को सुधारने का अवसर प्राप्त होता है।
इस अवसर पर जेसीडी विद्यापीठ के चेयरमैन अर्जुन सिंह चौटाला ने अपने संदेश में कहा कि ऑटिज्म एक न्यूरोविकासात्मक विकार है जिसमें व्यक्ति सामाजिक संपर्क, संचार, और व्यवहार में कठिनाइयों का सामना करता है। इसके लक्षणों में दोहरावदार गतिविधियां, संवेदी संवेदनशीलता, और सीमित रुचियां शामिल हैं। इसका कोई ज्ञात इलाज नहीं है, लेकिन उपचार और समर्थन से व्यक्ति की जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। ऑटिज़्म मूल्यांकन और पहचान की आवश्यकताएँ महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह विकार प्रारंभिक चरण में निदान होने पर बेहतर प्रबंधन और समर्थन की अनुमति देता है। सही मूल्यांकन के बिना, बच्चों और वयस्कों को उनके विकास और सामाजिक-भावनात्मक समायोजन में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
कार्यक्रम के मुख्यातिथि डॉ. रणजीत कौर ने अपने संबोधन में विशेष शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि नि:शक्त बच्चों के अलावा सामान्य बच्चों में भी कुछ ऐसी समस्याएं होती हैं जिससे बोलने में बच्चें असमर्थता जाहिर करते हैं। हकलाना, तुतलाना आदि ऐसी समस्याएं हैं। इस तरह की समस्याओं में भी बच्चों में l पूर्णतः सुधार संभव है। इस प्रकार के कार्यक्रम समुदाय के उन सभी व्यक्तियों की जरूरतें भी पूरी करता है जो आजीवन शिक्षा में रुचि रखते हैं। उन्होनें कहा कि उचित मूल्यांकन उपकरण और विशेषज्ञता की मदद से, प्रभावी हस्तक्षेप योजनाएँ विकसित की जा सकती हैं जो व्यक्तियों को उनकी पूर्ण क्षमता तक पहुँचने में मदद करती हैं। इसलिए, ऑटिज़्म के लिए सटीक पहचान और मूल्यांकन आवश्यक है।
कार्यक्रम के प्रभारी मि. राजपवन ने दो दिवसीय कार्यक्रम के उद्देश्यों एवं लक्ष्यों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने दो दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इस अवसर पर स्पेशल एजुकेटर सुशील कुमार और लवलीन ने भी ऑटिज़्म मूल्यांकन और पहचान की आवश्यकताएँ पर अपने विचार रखे।
इस अवसर पर विद्यापीठ के प्राचार्यगण डॉक्टर वीरेंद्र सिंह, डॉक्टर हरलीन कौर , डॉक्टर अनुपमा सेतिया, आरएस बराड़, डॉक्टर राजेंद्र कुमार , डॉक्टर सतनारायण , डॉक्टर सुषमा रानी , डॉक्टर कंवलजीत कौर, डॉक्टर निशा , मदनलाल बेनीवाल , अनुराधा के इलावा महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।