Inauguration of 2 Days CRE Programme
कक्षा आठवीं तक की शिक्षा का सभी बच्चों का समान अधिकार : ढींडसा
सिरसा 06 मार्च 2024 : जननायक चौधरी देवीलाल विद्यापीठ में स्थित जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय सिरसा में भारतीय पुनर्वास परिषद नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित दो दिवसीय सतत पुनर्वास शिक्षा ( सीआरई ) कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रोफ़ेसर डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा थे । इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सेंट्रल यूनिवर्सिटी भटिंडा के डीन डॉक्टर शंकर लाल थे तथा अध्यक्षता प्राचार्य डॉ जयप्रकाश ने की। इस अवसर पर रिसोर्स पर्सन सुशील कुमार , स्पेशल एजुकेटर गवर्नमेंट मॉडल संस्कृति स्कूल , सिरसा तथा डॉ. पवन कुमार, मनोवैज्ञानिक, डीईआईसी (डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर) राजकीय नागरिक अस्पताल सिरसा थे।
मुख्य अतिथि जेसीडी विद्यापीठ की महानिदेशक डॉ कुलदीप सिंह ढींडसा ने जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय परिसर केकेके। जबके परिवार द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन के लिए धन्यवाद व बधाई दी और सभी प्रतिभागियों व विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं की। सर्वप्रथम डॉ जयप्रकाश ने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए उनका संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ जयप्रकाश ने संबोधित करते हुए कहा कि विकलांगता के शिकार बच्चे सबसे अधिक संवेदनशील समूह के होते हैं और उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है विकलांग बच्चों की देखभाल, सुरक्षा के अधिकार को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। गरिमा तथा समानता के लिए विकास के अधिकार को सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि एक सक्षम वातावरण का निर्माण किया जाएं जहां विक्लांग बच्चे अपने अधिकार की पूर्ति कर सकंे और विभिन्न कानूनों के अनुरूप समान अवसरों का लाभ उठाकर पूर्ण भागीदारी प्रदर्शित कर सकंे। विकलांग बच्चों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ विशेष पुनर्वास सेवाओं को शामिल किया जाए। गंभीर विकलांगता के शिकार बच्चों के लिए विकास के अधिकार तथा विशेष आवश्यकताओं व देखभाल, सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए।
डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि समावेशी शिक्षा और सामाजिक समानता एक प्रगतिशील और सामंजस्यपूर्ण समाज के महत्वपूर्ण घटक हैं। समावेशी शिक्षा एक ऐसी प्रणाली को संदर्भित करती है जहां सभी छात्रों को, उनकी क्षमताओं, विकलांगताओं या पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, एक सहायक और विविध शैक्षिक वातावरण में सीखने, बढ़ने और बढ़ने के समान अवसर प्रदान किए जाते हैं। दूसरी ओर, सामाजिक समानता संसाधनों और अवसरों के वितरण में निष्पक्षता और न्याय पर जोर देती है, यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक व्यक्ति को समान लाभ प्राप्त हों। साथ में, ये अवधारणाएँ एक ऐसे समाज की नींव बनाती हैं जो विविधता को महत्व देता है, मतभेदों को स्वीकार करता है, और अधिक समावेशी और न्यायसंगत भविष्य के लिए प्रयास करता है।
डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि एक न्यायपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण समाज की खोज में समावेशी शिक्षा और सामाजिक समानता अविभाज्य तत्व हैं। समावेशी शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देकर और प्रणालीगत असमानताओं को दूर करके, हम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं जहां प्रत्येक व्यक्ति समाज में सार्थक योगदान देने के लिए सशक्त हो। समावेशी शिक्षा और सामाजिक समानता को अपनाना केवल भविष्य में एक निवेश नहीं है; यह सभी के लिए एक बेहतर और अधिक न्यायसंगत दुनिया बनाने की प्रतिबद्धता है।
रिसोर्स पर्सन मिस्टर सुशील कुमार ने प्रतिभागियों को विद्यालय में अध्ययनरत बालकों की व्यावहारिक समस्याओं को पहचानना एवं उनका प्रबंधन करवाने का प्रेक्टिकल करवा कर समझाया। उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि शिक्षकों की परिचय तथा सेवा प्रशिक्षण में विकलांग बच्चों के प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर एक मॉड्यूल शामिल किया जाएं। रिसोर्स पर्सन डॉ. पवन कुमार, मनोवैज्ञानिक, डीईआईसी (डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर) राजकीय नागरिक अस्पताल सिरसा ने कहा विकलांग छात्रों के क्लास रूम, हॉस्टल, कैफेटेरिया तथा अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रत्येक राज्य केंद्र शासित प्रदेश में समावेशिक शिक्षा का मॉडल स्कूल खोला जाएगा, ताकि विकलांग लोगों की शिक्षा को बढ़ावा मिल सके। पवन कुमार ने कहा कि नॉलेज सोसाइटी के इस दौर में कम्प्यूटर एक अहम भूमिका निभाता है। यह प्रयास किया जाएं कि प्रत्येक विकलांग बच्चा को उचित रूप से कम्यूटर का इस्तेमाल करने का अवसर मिले। कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर मदन लाल ने सीआरई कार्यक्रम के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के आयोजक सचिव डॉ राजेंद्र कुमार ने आए हुए अतिथियों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर अनुराधा, लवलीन, डॉक्टर रमेश कुमार, डॉक्टर सतनारायण, डॉक्टर सुषमा हुडा , डॉक्टर कंवलजीत कौर, बलविंदर, प्रीति के इलावा सभी स्टाफ और विद्यार्थी उपस्थित थे।