Valedictory of CRE Programme
दो दिवसीय राष्ट्रीय सतत् पुनर्वास शिक्षा (सीआरई) कार्यक्रम का विधिवत् समापन किया गया।
“ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों के लिए समावेशी और सहायक वातावरण है आवश्यक ” : अर्जुन सिंह चौटाला
सिरसा, 19 जुलाई 2024, जननायक चौधरी देवीलाल विद्यापीठ, सिरसा में स्थित जननायक चौ. देवीलाल शिक्षण महाविद्यालय में भारतीय पुनर्वास परिषद् नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित दो दिवसीय राष्ट्रीय सतत् पुनर्वास शिक्षा (सीआरई) कार्यक्रम का विधिवत् समापन किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. निवेदिता, शिक्षा विभाग, चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यापीठ के उप महानिदेशक एवं शिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. डॉ. जयप्रकाश द्वारा की गई। इस अवसर पर विभिन्न कॉलेजों के प्राचार्यगण डॉ. विरेन्द्र कुमार , डॉ. हरलीन कौर आदि उपस्थित रहे।
महाविद्यालय के प्राचार्य और कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. जयप्रकाश ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया व अतिथियों का संक्षिप्त परिचय देते हुए कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों को परामर्श की आवश्यकता है जिसके माध्यम से वे विशेष शिक्षण द्वारा बच्चों को शिक्षित समाज की मुख्यधारा में शामिल कर सकें।
जेसीडी विद्यापीठ के चेयरमैन अर्जुन सिंह चौटाला ने कहा कि ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों की विशिष्ट क्षमताओं को पहचानना और उनका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। हमें ऐसे समावेशी और सहायक वातावरण का निर्माण करना चाहिए जिसमें ये बच्चे अपनी पूरी क्षमता का विकास कर सकें। ऑटिज्म के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना और सही दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है ताकि इन बच्चों को समान अवसर और सम्मान मिल सके। हमारे छोटे-छोटे प्रयास भी उनके जीवन में बड़ा अंतर ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों के लिए समावेशी और सहायक वातावरण आवश्यक है। हम सभी मिलकर उनके उज्ज्वल भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं और एक सकारात्मक बदलाव लाएं।
कार्यक्रम के मुख्यातिथि डॉ. निवेदिता ने अपने संबोधन में कहा कि दिव्यांग बच्चे भगवान द्वारा भेजे गए उपहार हैं इनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। दिव्यांग तो वे लोग हैं जो कोई कार्य नहीं करते बल्कि सदैव खाली बैठे रहते हैं। दिव्यांग बच्चों की शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का विशेष महत्व होता है। डॉ निवेदिता ने बताया कि विशेष शिक्षा का उद्देश्य विकलांग छात्रों जैसे सीखने की विकलांगता , सीखने की कठिनाइयों (जैसे डिस्लेक्सिया ), संचार विकार , भावनात्मक और व्यवहार संबंधी विकार , शारीरिक विकलांगता (जैसे ओस्टियोजेनेसिस इम्पर्फेक्टा , सेरेब्रल पाल्सी , लिसेन्सेफाली , सैनफिलिपो सिंड्रोम और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ), विकासात्मक विकलांगता (जैसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार और बौद्धिक विकलांगता ) और अन्य विकलांगताओं के लिए समायोजित शिक्षा प्रदान करना है।
रिसोर्स पर्सन डॉ. शैफाली कश्यप ने अपने संबोधन में कहा कि सीखने की अक्षमता वाले छात्रों के माता-पिता को पता होना चाहिए कि उनके बच्चे में किस प्रकार की विकलांगता है, ताकि वे भाषण चिकित्सा, व्यावसायिक चिकित्सा और अनुकूली शारीरिक शिक्षा जैसे समायोजन तक पहुँच प्राप्त कर सकें।
डॉ. पवन कुमार ने अपने वक्तव्य में ऑटिज्म के आंकलन और व्यवहार परिमार्जन के तरीकों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। कार्यक्रम के संयोजक मि.राजपवन जांगड़ा ने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने दो दिवसीय कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी स्टॉफ सदस्य डॉ राजेन्द्र कुमार, डॉ. रमेश कुमार, डॉ. सत्यनारायण, डॉ. सुषमा, डॉ.कंवलजीत कौर, डॉ निशा, मि. मदन लाल मि. बलविंदर, मिस प्रीति, मिस अनुराधा सहित सभी विद्यार्थी उपस्थित थे।