Vaisakhi festival

वैशाखी पर्व सौहार्द और समृद्धि की भावना को देता है बढ़ावा : ढींडसा

सिरसा 13 अप्रैल 2024: जेसीडी विद्यापीठ में स्थित जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय के छात्र अध्यापकों द्वारा वैशाखी पर्व के अवसर पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सिकंदरपुर में एक रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया । यह आयोजन जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय के छात्र अध्यापकों , शिक्षकों, और स्कूल समुदाय के शिक्षकों और विद्यार्थियों लिए एक यादगार पल रहा। इस आयोजन में सांस्कृतिक , नृत्य और संगीत प्रतियोगिताओं का आयोजन किया, जिसमें छात्र अध्यापकों और स्कूल के विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर जयप्रकाश एवं राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सिकंदरपुर की प्रभारी शशि रानी द्वारा की गई ।

जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉक्टर कुलदीप सिंह ढींडसा ने अपने संदेश में कहा कि वैशाखी पर्व का मनाने का मुख्य उद्देश्य प्रकृति के साथ संबंध और सम्मेलन का महत्व जागरूक करना है। इसे खेती और उपज के उत्तम समय के रूप में भी देखा जाता है, जो किसानों और खेती समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह एक समाज में आपसी सौहार्द और समृद्धि की भावना को बढ़ावा देता है और नए आरंभों के लिए साहस और समर्थन की भावना को बढ़ाता है। इसके अलावा, यह भारतीय समाज के नए साल का आगाज़ भी माना जाता है, जिससे नए संकल्प और उत्साह के साथ नया साल शुरू होता है। ढींडसा ने कहा कि इस अवसर पर हमें नए आरंभों के लिए साहस और समर्थन की भावना दिखानी चाहिए ताकि हम समृद्धि और समाज की सार्थक विकास में योगदान कर सकें। उन्होंने कहा कि हर वर्ष बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में होता है। बैसाखी के त्योहार से पंजाब और हरियाणा के क्षेत्रों में फसलों की कटाई शुरू हो जाती है।बैसाखी से सिखों के नए साल की शुरुआत होती है। इसी दिन सिख पंथ के गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने सन् 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी। तभी से बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सूर्य मेष राशि में गोचर करते हैं जिस कारण इसे मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि बैसाखी खुशहाली और हरियाली का जश्‍न मनाने का पर्व है। मगर इतिहास में यह दिन एक ऐसी घटना का भी गवाह रह चुका है, जिसे ताउम्र भूल पाना मुश्किल है। उस दिन देशभर में बैसाखी की खुशियां धूमधाम से मनाई जा रहीं थीं जब जलियांवाला बाग में नरसंहार हो रहा था। 13 अप्रैल, 1919 की इस घटना को याद करके आज भी रौंगटे खड़ हो जाते हैं जब अंग्रेजी शासन के जनरल डायर ने निर्दोष, मासूम लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था। देखते ही देखते हजारों लोगों की लाशें बिछ गई थीं।

इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. जय प्रकाश ने बैसाखी पर्व के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बैसाखी पर्व जिसे वैशाखी के नाम से भी जाना जाता है। भारत के कई क्षेत्रों में बैसाखी का पर्व मनाया जाता है। लेकिन यह खासतौर पर पंजाब में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह सिख समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद खास है। बैसाखी रबी फसलों की कटाई का त्योहार भी है। वैशाखी पर्व को अलग-अलग नामों में मनाया जाता है जैसे बैसाकी, बैसाखी, नवरात्रि, रोहिणी, पोहेला बैसाख, रंग बैसाख, वैशाखादि। इसे मुख्य रूप से अग्री समाज में मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य प्रकृति के उत्तम समय में अच्छी खेती और उपज की शुभ सुचना देना है। इसके साथ ही, यह भारतीय साल का नया साल भी माना जाता है और यह विभिन्न संस्कृतियों और क्षेत्रों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।

शशि रानी ने कहा कि वैशाखी पर्व के अवसर पर, हमें प्रकृति के साथ संवाद और सम्मेलन का महत्व याद दिलाना चाहिए। हमें आपसी सौहार्द और समृद्धि के प्रति समर्पित रहना चाहिए और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी उठानी चाहिए। इस अवसर पर प्राइमरी हेड सुभाष सेठी, रीटा , उमेश कुमार, आरती , परमजीत, राजवंत , देश राज के इलावा डॉक्टर कंवलजीत कौर , बलविंदर के इलावा स्कूल का समूचा स्टाफ और विद्यार्थी गण उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम की एंकरिंग छात्र अध्यापक दीया और रमनदीप द्वारा की गई। कार्यक्रम के अंत में सभी विजेता विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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